Best Allama iqbal shayari in hindi | अल्लामा इकबाल शेर शायरी हिंदी
Ki Muhammed (S.A.W.) Se Wafa
Tu Ne Tau Hum Tere Hain
Yeh Jahan Cheez Hai Kya, Loh-o-
Qalam Tere Hain.
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नहीं तेरा नशेमनं कसर्-ए-शुलतानी के गुम्बद पर,
तू शाहीन बसेर कर पहाडों की चट्टानो में!!
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चिंगारी आजादी की ‘सुलगती’ मेरे जश्न में है,
इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में है,
मौत जहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है,
कुर्बानी का जज्बा ”जिंदा” मेरे कफन में है।
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ढूंढता रहता हूँ ऐ ‘इक़बाल’ अपने आप को,
आप ही गोया मुसाफिर, आप ही मंज़िल हूँ मैं।
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अल्लामा इकबाल शायरी इन उर्दू हिन्दी पीडीएफ lyrics
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा।
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क्या हुआ जो तेरे माथे पे है शब्दों के निशान,
कोई ऐसा सजदा भी कर जो जमीं पर यह निसान छोड़ जाए।
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तिरे इश्क़ की ”इंतिहा” चाहता हूँ,
मिरी ”सादगी” देख क्या चाहता हूँ,
ये जन्नत “मुबारक” रहे ज़ाहिदों को,
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ।
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तेरी दुआ से कज़ा तो बदल नहीं सकती,
मगर है इस से यह मुमकिन की तू बदल जाये,
तेरी दुआ है की हो तेरी आरज़ू पूरी,
मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये।
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Sitaaaron se Aage Jahan Aur Bhi Hain
Abhi Ishq ke Imtihan Aur bhi hai.
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Allama Iqbal Islamic shayari
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतज़ार देख
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औकात में रखना था जिसे
गलती से दिल में रखा था उसे
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मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने
मन अपना पुराना पापी है बरसों में नमाज़ी बन न सका
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#बातिल से दबने वाले ऐ ‘आसमाँ’ नहीं हम
सौ बार कर चुका है तू #इम्तिहाँ हमारा
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Allama iqbal Shayari in english
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।
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‘औकात’ में रखना था जिसे
गलती से दिल में #रखा था उसे
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मेरे बचपन के दिन भी क्या ख़ूब थे इक़बाल,
बेनमाज़ी भी था और बेगुनाह भी।
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बे-ख़तर_कूद पड़ा आतिश-ए-नमरूद में इश्क़
अक़्ल है महव-ए-तमाशा-ए-लब-ए-बाम अभी
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अल्लामा इकबाल देश भक्ति शायरी
तैरना है तो समंदर में तैरो नालों में क्या रखा हैं,
प्यार करना है तो देश से करो औरों में क्या रखा हैं।
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दिल की #बस्ती अजीब बस्ती है,
लूटने वाले को_तरसती है।
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न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए,
जहाँ है तेरे लिए तू नहीं जहाँ के लिए।
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फ़क़त #निगाह से होता है “फ़ैसला” दिल का
न हो निगाह में #शोख़ी तो दिलबरी क्या है
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Allama iqbal shayari urdu hindi
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूं या रब,
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो।
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बाग़-ए-बहिश्त से मुझे
हुक्म-ए-सफ़र दिया था क्यूँ
कार-ए-जहाँ दराज़ है अब मिरा इंतिज़ार कर
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Masjid to banā di shab bhar
meñ imāñ ki harārat vāloñ ne
man apnā purānā paapi hai
barsoñ meñ namāzī ban na sakā